पेजर डिवाइस का परिचय
पेजर डिवाइस, जिसे “बीपर” भी कहा जाता है, 1990 के दशक में भारत और अन्य देशों में एक लोकप्रिय संचार उपकरण था। यह डिवाइस मुख्य रूप से संदेशों को भेजने और प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जाता था। पेजर का उपयोग उस समय किया जाता था जब मोबाइल फोन इतने आम नहीं थे और संचार के विकल्प सीमित थे। यह एक सरल डिवाइस था, जो टेक्स्ट मैसेज या छोटे संदेशों को उपयोगकर्ता तक पहुँचाने में सक्षम था। भारत में, डॉक्टरों, व्यावसायिक प्रोफेशनल्स और आपातकालीन सेवाओं में काम करने वाले लोग इसे संचार के प्राथमिक माध्यम के रूप में इस्तेमाल करते थे।
पेजर डिवाइस का इतिहास
पेजर डिवाइस का आविष्कार 1950 के दशक में हुआ था, लेकिन यह 1980 और 1990 के दशक में लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचा। शुरुआत में इसका उपयोग हॉस्पिटल्स और बड़े उद्योगों में किया जाता था, क्योंकि इस डिवाइस के जरिए लोग आपातकालीन संदेश तेजी से भेज सकते थे। भारत में, पेजर डिवाइस ने 1990 के दशक में अपनी पहचान बनाई और कुछ वर्षों तक यह सबसे प्रमुख संचार माध्यम बना रहा।
पेजर का उपयोग कैसे होता था?
पेजर डिवाइस का उपयोग करना बहुत ही सरल था। इसे एक छोटे रेडियो रिसीवर के रूप में समझा जा सकता है, जो संदेशों को रिसीव करता था। जब किसी को संदेश भेजना होता था, तो वह एक टेलीफोन ऑपरेटर को कॉल करता था और अपना संदेश बताता था। ऑपरेटर यह संदेश पेजर डिवाइस में भेज देता था, जिसे उपयोगकर्ता अपने पेजर पर पढ़ सकता था। संदेश आमतौर पर संक्षिप्त होते थे, जैसे किसी व्यक्ति का फोन नंबर या आपातकालीन सूचना।
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भारत में पेजर डिवाइस का विकास
भारत में पेजर सेवा 1990 के दशक में शुरू हुई और भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और कई प्राइवेट कंपनियों ने इसे देश भर में उपलब्ध कराया। यह सेवा शहरी क्षेत्रों में अधिक लोकप्रिय हुई, जहाँ व्यवसायी और प्रोफेशनल्स इसका नियमित उपयोग करते थे। खासकर डॉक्टर और अन्य आपातकालीन सेवा से जुड़े लोग पेजर का उपयोग करते थे, क्योंकि इससे उन्हें तत्काल महत्वपूर्ण संदेश मिलते थे।
पेजर का उपयोग उन जगहों पर भी होता था जहाँ मोबाइल नेटवर्क की उपलब्धता नहीं थी, क्योंकि यह रेडियो फ्रीक्वेंसी के माध्यम से काम करता था, जो लंबी दूरी पर संदेश पहुंचाने में सक्षम थी।
मोबाइल फोन के आने से पेजर की समाप्ति
हालांकि पेजर डिवाइस ने अपने समय में काफी लोकप्रियता हासिल की, लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में मोबाइल फोन के आ जाने से इसका उपयोग तेजी से घटने लगा। मोबाइल फोन ने पेजर की जगह ले ली क्योंकि यह केवल संदेश प्राप्त करने की बजाय सीधे कॉल और टेक्स्ट मैसेज भेजने की सुविधा देता था।
मोबाइल फोन की कीमतों में गिरावट और बेहतर नेटवर्क सेवाओं के चलते भारत में पेजर का उपयोग लगभग खत्म हो गया। 2000 के दशक के मध्य तक, पेजर सेवा बंद हो चुकी थी और मोबाइल फोन ने संचार के क्षेत्र में अपनी जगह पूरी तरह से बना ली थी।
वर्तमान में पेजर की स्थिति
आज के समय में पेजर डिवाइस भारत में लगभग अप्रचलित हो चुका है। कुछ खास क्षेत्रों जैसे हॉस्पिटल्स और इमरजेंसी सेवाओं में, यह डिवाइस अभी भी कुछ हद तक उपयोग में आता है, लेकिन इसकी संख्या बेहद सीमित है। आधुनिक टेक्नोलॉजी और स्मार्टफोन के युग में पेजर की उपयोगिता खत्म हो चुकी है।
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निष्कर्ष
पेजर डिवाइस ने 1990 के दशक में भारत में संचार क्रांति की शुरुआत की थी। यह एक सरल लेकिन प्रभावी संचार उपकरण था, जिसने महत्वपूर्ण संदेशों को त्वरित और विश्वसनीय तरीके से लोगों तक पहुँचाया। हालांकि आज पेजर का उपयोग लगभग समाप्त हो चुका है, लेकिन इसने अपने समय में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।